परबतिया (Parbatiya, Short Film Script )
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परबतिया (Parbatiya, Short Film Script )


'हां हम रंडी हई! हई रे रंडी।'- परबतिया जोर जोर से चिल्लाए लगल।' अरे हम रंडी हई त तू कुल भाड़वा हउवा सो का? साला कुक्कुर दिन भर लार चुवावत त पीछे घूमे लसो हमरे। 'आ ई! ---घेरा के ओरी मुंह करके परबतिया कहलस,"आ...थू"। का सोचे लासो? अकेल्ले हई त कोई आके डुबकी लगा जाई!' मांस ना बीन लेहली त कईहा सो।'

परबतिया..... उमर एही कोई 30 साल । काम सब्जी बेचे क। अब सब्जी काहे बेचे ले, ई  जाने खातिर हमनी  ओकरें जिनगी के आउर भीतर जाए के पड़ी ।अईसन ना ह की ओकर आदमी ना हउवें।हउवें पर  पर नाही के बराबर। परबतिया के माई बाबू सीधा-साधा लईका देखके वियाह कै देले पर लईका कुछ ज्यादा ही सीधा निकल गईल ।काम धंधा से कौनो मतलब ना! बस दिनभर पूजा-पाठ आ जोगियन के चक्कर में इधर-उधर घुमते रहे। 

अइसन में सास ससुर कै दिन खियईतन ?ओहु कुल परबतिया के घर से निकाल देहल ।कुछ दिन त माई बाबू केहे बीतल.... पर ओहिजो कै दिन?  द आखिर एक दिन भौजाई के ताना सुन के नईहर भी छोड़ देहलस ,आ लगल तरकारी बेचे। एक  त दिमागी चिंता, उपर से देह के मेहनत ....उ जब्बे नाही तब्बे बेमार हो जाए। कभी बेहोश होके गिर जाए।

रस्ता चलत लोग ओके असहाय जान के मदत कर देवे। लेकिन कौनो कौनो ओ मदत के बड़ा भारी कीमत मांगे। परबतिया डेरा जाए कि आखिर जिंनगी कईसे कटी? ह, लेकिन एक बात रहे ओकर करेजा बहुत मजबूत रहें ।एही से उ जल्दीये संभर गईल ।कईसहू पईसा जुटाई के तनी से जमीन लेके एगो मड़ई भी लगा लेहलस। उ दिन जाड़ा के रात रहे... दुकान बढ़ावे मे कुछ ज्यादा ही रात हो गईल, कोहरा अलग से घेरत रहे । उ काँपत जात रहे, अचानक ओकर छाती के धड़कन बढ़ गईल। 

जब तक अपने के उ संभारत बेहोश होकर गिर गईल। अकेले असहाय मेहरारू के बड़ी संगी बनल चाहे ले, आ उ संगीन में से कई ठो परबतिया के आवे जाए के टाइम देखत रहत रहे ले ।जईसही  उ बेहोश होकर गिरल... डेरा बाबा पहुंच गईलन।

अरे हम त "डेरा बाबा" के बारे में बतावल  भुलाइए गईली! अईसन ह कि उनकर नाम त दूसरे ह लेकिन  जेकरें ईहां उ पहुंच जालन उहाँ न पूरा अड्डा जमा लेंवे ल जब तक कि उनकर बात सुने वाला उनके  जाये के ना कह देवे। एही से उनकर नामू ह डेरा बाबा पड़ गयल।  मेहरारू के एकदम रसिया! परबतिया के ताक में त हमेशा रहे ।ओ दिन उनके मौका मिल गईल। परबतिया के टांग के कईसहू अस्पताल ले गईले।

दूसरे दिन परबतिया घेरा बाबा के घरे पहुंचल।

अरे तू? का भईल?--- घेरा बाबा मन ही मन खुश होके बोललन।

काल आप ना रहती बाबा हमर का हाल होत!--परबतिया रोवत रोवत बोले लगल।

अरे परबतिया तो हूं न!'

हई आप बदे कुछ तरकारी लियाईल रहली। जईसही उ उनके देहलस, घेरा बाबा परबतिया के हाथ पकड़ लेहलन।

'बाबा' परबतिया गुस्साईल।

'परबतिया हम जानत हम जानत हई कि तू का सोचत होबू। कल हम  जब तोके असहाय अवस्था में देखली त जाके हमके एहसास भयल की  मेहरारू खाली भोगे के चीज ना होखे ली। दरद  से तड़पती तोहार  चेहरा देखकर हमरा के तोहरा पर दया आ गईल। अपने उपर हमके घिन पड़े लगल! सच में अकेल्ले औरत केतना लाचार होखे ली।खैर तोहके जब भी कौनो जरूरत हुई बिना देरी कईले हमरे पास आ जईहा।  तू हमार आंख खोल देलू बिटीया।'

बाबा!--- परबतिया सरधा  से उनके गोड़े पर गिर गईल।

समय अपने हिसाब से बीते लागल। सब लोग डेरा बाबा के बड़ी सरधा से देखे लगले। आ परबतिया त सचमुच उनकर बेटी बन गईल। समय-समय पर ऊ  परबतिया के कुछ सहायता भी करे लगले।कभी कभी परबतिया के घरे भी रुक जाए। अइसे ही उ दिन भी घेरा बाबा परबतिया के घरे सुतल  रहे। अचानक परबतिया के आपन देह पर कोई के छूवन महसूस भईल । परबतिया आंख खोलके देखलस त घेराबाबा!

अरे बाबा आप ! का भईल?'

कुछो ना

त जाई फिर सूती

हम सुतही त आईल बाटी तोहरे साथ

बाबा!.... परबतिया चिल्लायिल, होश में बात करी।

    (क्रमशः )... (to be continued!)

    1. का परबतिया घेरा बाबा के असलियत जान पाई?
    2. अपन असलियत सामने अईला के बाद घेरा बाबा का करी?

    लेखक: पीयूष 'मोहन'
    अपडेट: 26 जुलाई 2023, 20:52

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    Script Title & Keywords: Parbatiya, Short Film Script, village short story,

    Credits-Section: newindianexpress


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