पारस पत्थर - Paras Patthar, Hindi Short Film Story
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पारस पत्थर - Paras Patthar, Hindi Short Film Story


एक व्यक्ति नदी के किनारे भगवान की कठोर तपस्या कर रहा था. दिन, महीने, सालों तक उसने कठोर तपस्या की... 

आखिर भगवान प्रकट हुए, और उससे पूछा कि उसे क्या चाहिए. 

उस व्यक्ति ने कहा कि - वह अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करना चाहता है, भगवान उसे यही वरदान दें. 

भगवान ने कहा कि यह तो बड़ा आसान है!

तुम जहाँ बैठकर तपस्या कर रहे हो, उन्हीं छोटे पत्थरों के बीच में एक 'पारस पत्थर' दबा हुआ है, जो तुम्हारी सभी इच्छाओं को पूरी कर सकता है. तुम एक-एक करके इन छोटे पत्थरों को नदी में फेंकते जाओ. 

ध्यान रखना, पारस पत्थर भी देखने में इन्हीं पत्थरों जैसा है, बस वह हल्का गरम होगा. कहीं उसे भी नदी में मत फेंक देना.

वह व्यक्ति खुश हो गया, और बड़े ध्यान से, एक-एक करके नदी में पत्थर फेंकने लगा. 

एक घंटा, दो घंटा... और इसी तरह कई घंटे बीत गए... शाम होने को आयी. 

अब उसका उत्साह कम होने लगा... 

जिस व्यक्ति ने सालों तक भगवान की तपस्या की, उसका उत्साह मात्र एक दिन में कम होने लगा. उसे शंका होने लगी कि कहीं भगवान झूठ बोल कर तो नहीं चले गए?

कहीं उन्होंने उसे टाल तो नहीं दिया, क्योंकि अगर उन्हें देना ही होता तो वह एक क्षण में निकाल कर दे देते!
इतनी भक्ति के बदले ये क्या पत्थर छांटने का काम दे दिए....

उधर उसका हाथ चल रहा था, उधर शंकाओं, निराशा से घिरा वह व्यक्ति Casual होकर नदी में पत्थर फेंकता जा रहा था. 

अचानक, उसे अहसास हुआ कि उसके हाथ से कुछ गरम होकर गुजरा है. 

लेकिन तब तक तो वह गरम पत्थर नदी में जा चुका था. 

उसने नदी में छलांग लगाई, लेकिन पारस पत्थर उसके हाथ से निकल चुका था. 

खूब रोया वह, खूब चिल्लाया... लेकिन ढलती शाम में उसे सुनने वाला नदी के तट पर कोई न था...

Moral of the Story: We should not take any opportunity, task or person lightly / casually.

लेखक: अज्ञात (पुनर्लेखन - मिथिलेश कुमार सिंह)
अपडेट: 10 अगस्त 2023, 06:23

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Script Title & Keywords: Paras Patthar, Hindi Short Film Story

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