जवानी की जंग (Jawani Ki Jung, Short Film Script)
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जवानी की जंग (Jawani Ki Jung, Short Film Script)

आज फिर जया को अपनें जवानी पर तरास आ रहा था वो मन ही मन अपनें नसीब को कोस रही थी इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता नही था। जया के शादी को वर्षों गुजर गये थे किंतु उसको अपने पति से भरपूर तन का सुख नही मिला था जया के पति का नाम राजेश था और वो एक शक्की इंसान था उसकी पत्नी जब भी कभी बाहर निकलती वो छुप कर उसका पीछा करता इतना ही नहीं जब भी कोई राहगीर उसके घर की तरफ देख लेता तो वो अपनें पत्नी से उलझ जाता ये कह कर की जरूर कोई बात है अन्यथा कोई भी व्यक्ति किसी के दरवाजे की तरफ क्यों देखेगा। जया अपनें पति के इस व्यवहार से तंग आ चुकी थी।ससुराल से मायके दोनों तरफ के लोगों से राजेश जया को चरित्रहीन साबित करने में लगा रहता,कुछ लोग तो राजेश की बातों पर भरोसा भी करनें लगे थे क्योंकि हमारे समाज में ज्यादातर लोग सारा दोष महिलाओं का ही देते है।

अब तो राजेश घर छोड़ कर कहीं कमाने भी नही जाता, घर का खर्च जैसे तैसे जया के मायके वाले चलाते जिसकी वजह राजेश कामचोर भी हो गया था।रोज रोज के कीच कीच से तंग आकर जया कभी कभी राजेश से अलग रहने की सोचती फिर वो निराश हो जाती और  सोचती की क्या एक यंग और मेरे जैसे रूपवती किसी औरत को अकेले यह समाज जीने देगा यह सोच कर जया सहम जाती और अपना फैसला बदल लेती। जया को राजेश के साथ हमबिस्तर हुए छह छह महीने हो जाते और जया वासना की आग में जलती वो कर भी क्या सकती थी।

जब भी राजेश जया के करीब आता किसी न किसी बातों पर वो जया से झगड़ पड़ता या फिर टाय टाय फीस हो जाता बेचारी जया अपने मन को काबू करती और मुंह घूमाकर आखों में आसू लिए सो जाती।ये दुःख जया के कुछ गिने चुने सहेलियों को पता था,एक दिन जया की एक सहेली ने जया को तंत्र विद्या से उसके पति राजेश को ठीक करनें का सुझाव दिया और मरता क्या नही करता जया के दिमाग में ये तंत्र मंत्र वाली बात घर कर गई और वो एक तांत्रिक पंडित के चक्कर में पड़ गई,पहले तो तांत्रिक ने जया से मोटी रकम वसूली और जया यहां वहां से रूपये लाकर तांत्रिक के मांग को पूरा करती।

जब तांत्रिक को पता चला की अब जया के पास पैसे नहीं है तो उसकी बुरी नजर जया के रूप यौवन पर पड़ गई वो बीच बीच में जया के शरीर को किसी न किसी बहाने छूने लगा।जया तांत्रिक के हर हरक़त को समझती मगर स्थायी निदान पाने की चक्कर में वो तांत्रिक को कुछ नही बोल पाती,जया कभी कभी बहुत दिनों से शारीरिक भूखेपन के कारण किसी के छुवन का अहसास करती तो तड़प जाती,लोग कहते है पेट की भूख से ज्यादा इंसान को तन की भूख ज्यादा परेशान करती है।

अगर शादी के बाद भी तन का सुख और मन की शांति न मिले तो औरत भटक जाती है किंतु जया तो आज तक अपनें तन के भूख  और मन पर काबू किये हुए थी उसके मन में यह विश्वास था की तांत्रिक बाबा सब ठीक कर देंगे मगर ऐसा होता नहीं दिखता था क्योंकि ये तो अंधविश्वास था जहां जया पैसा और आबरू गवानें पहुंची थी। एक दिन की बात है जया दोपहर को तांत्रिक के पास पहुंची थी तभी उसका पति राजेश पीछा करते करते उस तांत्रिक के पास पहुंच गया था।

तांत्रिक जैसे ही जया को अपनी झूठी क्रिया से सहलानें की कोशिश कर रहा था तभी राजेश ने उस तांत्रिक को झपट लिया और उसे दे पटकनी मारा,तांत्रिक हताश होकर अपनी सफाई देने की कोशिश कर रहा था तभी राजेश ने जया के बालों को पकड़ कर घसीटते हुए सड़क पर आ गया और लोगों की भीड़ जमा हो गई लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे  जिसमें से ज्यादातर लोग जया को चरित्रहीन शब्दों से अलंकृत कर रहे थे तो कुछ लोग बातों को और चढ़ा बढ़ा कर एक दूसरों को बता रहे थे,और भारी भीड़ में राजेश जया को पीटते जा रहा था वो पागल जैसा आचरण कर रहा था,आज उसे पूरा विश्वास हो गया था की हमारी पत्नी  वैसी ही निकली जैसा की हम सोचते थे। 

मगर सच्चाई तो कुछ और थी दोष तो तांत्रिक का था जो झूठी उलझन में फसा कर जया को रखा था लोगों के सामने अपमानित होने के बाद जब जया घर आई तो वो टूट चुकी थी और आज वो अपनें जिंदगी की अहम फैसला ले चुकी थी की अब वो किसी हालत में राजेश के साथ नही रहेगी अतः उसने अपनें कुछ कपड़ों को लेकर अपने मायके चल पड़ी थी। कई दिन कई महीने बीत चुके थे किंतु जया के जानें का तनिक भी परवाह राजेश को नहीं था होता भी कैसे एक तो निकम्मा और दूसरी बात की वो ठंडा पड़ चुका था।

इधर जया का अपनें मायके में कुछ दिन तो ठीक से कटा किंतु कुछ दिन बाद जया अपनें मायके में बोझ सी बन गई,जया के भाई और भाभी गंभीर गंभीर रहने लगे वो ठीक से जया से बात भी नही करते कारण की जया के ससुराल लौटने का कोई समय निश्चित नहीं था न हीं वो ज्यादा पढ़ी लिखी थी जो किसी काम पर लग जाती और वो लगती भी कैसे उसे डर था की कहीं काम पर लगने के बाद भी संजय वहां पहुंच कर भरे बाजार में उसे अपमानित न कर दे कारण की न तो वो सामाजिक था और न ही उसे समाज की चिंता।

अतः जया कई महीने गुजरने के बाद अपनें ससुराल चली आई किंतु राजेश के मन में कोई बदलाव नहीं आया था।समय बीतता गया और जया अपनें जिंदगी से हार मान गई थी तभी समय ने करवट बदली और जया की मुलाकात बाजार में रवि से हुई दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और दोनों के लब सिले हुए थे आज प्रथम बार जया अपनें कल्पना में गोते लगा रही थी जैसे वो किसी खूबसूरत दुनियां में पहुंच गई हो ,रवि मुस्कुराता हुआ जया को देखे जा रहा था तभी जया की तंद्रा भंग हुई और वो शर्माकर आगे निकल पड़ी किंतु उसके मन की हलचल खत्म नहीं हुई थी वो पीछे मुड़ कर देखी तो रवि उसे देख रहा था अचानक जया के पैर भी थम गए थे तभी जया ने बड़ी ही चतुराई से अपनें पर्स से कागज़ का टुकड़ा और पेन निकाला और अपना फोन नम्बर लिख कर नीचे फेक दिया,रवि इस वाकया को देख और समझ रहा था फिर भी जया ने दूर से ही रवि को यह नंबर उठाने का आग्रह किया...

    (क्रमशः )... (to be continued!)

    1. क्या जया की फेंकी हुई पर्ची को रवि उठाएगा?
    2. क्या रवि और जया एक दूसरे को पहले से जानते हैं?  

    लेखक: Ashok Verma
    अपडेट: 26 जुलाई 2023, 22:52

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    Script Title & Keywords: Jawani Ki Jung, Short Film Script, Short Film Script for Youtube

    Credits-Section: feminisminindia


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