इधर बीच गांव में एक भय का माहौल फैल गया था। लोग काफी डरे सहमे रहने लगे थे। शाम होते ही गांव की गलियां सूनी हो जाती थी... लोग अपने अपने घरों में दुबक जाते थे। हुआ कुछ यूं था कि गांव के बीचों-बीच स्थित पुरानी हवेली में रोज किसी न किसी को कोई भूत दिख जाता था। गांव में भूत होने की खबर ने सबको बेचैन कर दिया था। ओझा-सोखा बुलाए जाने लगे। मगर सब ने झाड़ फूंक बाहर से ही किया, किसी की अंदर जा सकने की हिम्मत नहीं हुई... और अंततः किसी के ओझइति-सोखइति का कुछ असर नहीं हुआ।
गांव वाले बड़ा परेशान हो गए। यह अब सब के लिए एक बड़ा समस्या बन गया। गांव के प्रधान बलभद्र शाह कद काठी से एकदम पहलवान और मनटाठ आदमी थे। आज तक जितना धन दौलत कमाए थे, सब इसी गांव से समझौता कर के, लेकिन अब गांव पर ही बात आ गई तो वह भी कहां चैन से बैठने वाले थे। गांव के स्कूल पर एक सभा बुलाई और सब से कहा-
"देखिए आप लोग घबराइए जिन, हम एक उपाय सोचें हैं। सब लोग एकईस- एकईस रुपया चंदा मिलाइए, एक ऐसा बरियार सोखा बुलवा रहे हैं कि भूत क्या - भूत का बाप भी भाग जाएगा। विकट समस्या के आगे गांव वालों ने भी पैसे का मुंह नहीं देखा, चंदा तुरंत इकट्ठा हो गया।
शोकहरण सोखा को बुलाया गया।
शोकहरना को आज तक गांव के ब्रह्म बाबा को छोड़कर कोई भूत-पिचास नही पटक पाया था। भूत के तेज को गंभीरता से लेते हुए सोखा ने एकादशी की रात अंदर घुसने का निश्चय किया। आखिर वह रात भी आई। प्रधान जी और गांव के कुछ गणमान्य लोग खंडहर के बाहर जुट गए। इधर सोखा भी भर देह भभूत लपेट कर, टीका फाना मारकर तंत्र मंत्र मारते हुए घर में घुसा। गांव ने राहत की सांस ली कि चलो धन्य है, प्रधान जी आज धन्य है... सोखा बाबा आ तो गए!
अब लगा कि गांव को इस समस्या से निजात मिल जाएगी। लेकिन नहीं... यह समस्या इतनी जल्दी जाने वाली नहीं थी, 7 घंटे बीत जाने के बाद भी सोखा खंडहर से बाहर नहीं आया। प्रधान जी की धराई गई आस अब झूठी प्रतीत होने लगी थी। सबकी नजरें एक बार फिर प्रधान जी की तरफ मुड़ गई। प्रधान जी ने भी सांत्वना देने में कोई कमी नहीं छोड़ी...
बोले- "ए महाराज, आप लोग अऊजाईए मत। हम को सोखा के काबिलियत पर पूरा भरोसा है! ई भुतवे थोड़ा तेज मालूम पड़ता है, इसीलिए समय ले रहा है। अब जाइए आप लोग भी... बिहान हो गया मर-मैदान हो आइए, सोखा कुछ देर में खुद ही निकल जाएगा। सब लोग प्रधान जी की बात मान अपने अपने घर की ओर चल दिए। लेकिन यह क्या आज देखते देखते चार दिन बीत गए, लेकिन सोखा बाहर नहीं निकला, पर भूत वैसे ही किसी न किसी को दिख जाता।
गांव वालों का डर अब और बढ़ गया। इसके बाद क्षेत्र के दो प्रसिद्ध सोखा और अंदर गए, लेकिन कोई बाहर नहीं आया। जिस गांव की कमाई प्रधान जी आज कई वर्षों से खाते आए थे, आज उस गांव पर संकट पड़ा, तो प्रधान जी का सब्र भी जवाब दे गया। पहलवान आदमी हनुमान जी के परम भक्त बोले - " छोड़िए यह सब ओझा सोखा का चक्कर अब हम खुद ही भीतर घुसेंगे"। दिन तय हो गया...
हनुमान जी का दिन अर्थात मंगलवार सुबह सात बजे।
प्रधान जी के चमचे प्रधान जी को खोना नहीं चाहते थे, लगे रोने " ए काका आप मत जाइए... हम लोग कहां जाएंगे आ हई इंदिरा आवास, आ आगनबाड़ी कौन देखेगा ए दादा!"
प्रधान जी ने सब को डांटा "अरे पागल चुप, पहिलही तुम सब मुआएगा क्या जी हमको? अभी आधे घंटे में भीतर से सब दूध का दूध और पानी करके आ रहे हैं... तुम लोग यहीं बैठो। इतना कह कर प्रधान जी मन ही मन हनुमान चालीसा पढ़ते हुए अंदर चले गए। इधर ग्रामवासी उनका बाहर निकलने का इंतजार करने लगे, लेकिन इंतजार कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया।
सुबह से शाम हो गई, प्रधान जी बाहर नहीं आए। अब गांव में हड़कंप मच गया। पूरे गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई। लोग डर के मारे गांव छोड़ने लगे... किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था... सब की परेशानी अब और बढ़ गई।
इसी बीच गांव में घूमते हुए न जाने कहां से एक जोगी आया। जोगी था एकदम फकीर आदमी... भगवा धारण किए, न आगे नाथ, न पीछे पगहा!
दिन भर इधर से उधर घूमना - कुछ मिला तो खाया, नहीं तो चार चिलम मार के अपनी मस्ती में मस्त! गांव की विपदा सुन अब जोगी ने अंदर जाने का फैसला किया है। फिर सभी को एक नई आस जगी। बाबा ने चिलम चढ़ाया और हर हर महादेव के साथ घुस गए खंडहर में। अंदर घुसते ही बाबा स्थिति को देखकर अवाक रह गए। उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था...
... ...
(क्रमशः )... (to be continued!)
- आखिर अन्दर का देख लिए जोगी बाबा?
- गाँव वालों को मुक्ति मिलेगी क्या भूत से?
- प्रधान जी की नाक बची रहेगी कि कट जाएगी सूपर्णखा जैसे?
लेखक: स्पर्श आनंद
अपडेट: 23 जुलाई 2023, 22:52
अपने YouTube चैनल के लिए एक Free Sample Script मंगाने हेतु यहाँ Click करें...
Script Title & Keywords:
- We wrote for different industries, Click to Check... (प्रत्येक जॉनर के लिए हमारी टीम लिखती है, क्लिक करके देखें)
- क्या आप एक लेखक हैं? (किसी भी विधा में...) - Are You a Writer?
- Required Digital Marketing Services, Brand Building - PR Services, Sponsorship-support? Click to know more...
Credits-Section: