वृद्धाश्रम नाहीं, 'ससुरा'! - Virddhashram ya Sasural (Bhojpuri Short Story)
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वृद्धाश्रम नाहीं, 'ससुरा'! - Virddhashram ya Sasural (Bhojpuri Short Story)

दृश्य 01

सुबह के समय गाँव में एक मकान के सामने बैठा एक पचास के आसपास का व्यक्ति दातून कर रहा है। तभी एक नवयुवक आकर उसे प्रणाम करता है। 

युवक-काका प्रणाम करत बानी। 

आदमी- खुश रहs, कहिया अईलs ह, का समाचार बा? 

युवक- ठीक बा सब, दू दिन हो गयील अईले। 

आदमी- आजु काल्हि कवने शहर में रहत बाटs? 

युवक- बंगलौर में रहत बानी, जहाँ तुहार बेटा अम्मर नोकरी करत हवें। 

आदमी- हमरे अम्मर से तुहार भेंट होला का ए बाबू? 

युवक- रोजे भेंट होला। अम्मर भैया आ रागिनी भौजी जवने कम्पनी में हवे लोग, ओही में हमहुँ काम करत बानी। 

आदमी-अच्छा ठीक ठाक बानs न, आ ई रागिनी भौजी के हवे? 

युवक- बाह काका! अपने पतोही क नाम न जानत हवs। आरे तुहरे बेटा अम्मर क मेहरारू हई। लभ मैरिज हवे। एगो बेटा बा ओ लोगन के। 

आदमी- का कहलs ह लभ मैरिज? हमरे त कुछू नाही मालुम बा। तनी हमके उनके कम्पनी क पता लीखि के दे देबs बाबू। 

यूवक एक कागज पर पता लिखकर देता है और वहाँ से चला जाता है। आदमी चिंतातुर बैठा होता है, तभी एक उसका हम उम्र आदमी आकर उसे पुकारता है। 

दूसरा आदमी- ए त्रिलोचन भाई! कवने चिंता मे डूबल हवs सबेरे - सबेरे? 

त्रिलोचन- आवs हो मोहन भाई, कवनो चिंता बा भाई... 

मोहन- त्रिलोचन भाई तुहरे अईसन साधू आदमी के अब कवने बात क चिंता रही! पांच बरिस के अम्मर रहने जब उनकर माई ओ लोक के गयीली। ओ अम्मर के पाल पोसि के साफ्टवेयर इंजीनियर बना दिहलs। तब त चिंता तुहरे रहबे ना कयील।

त्रिलोचन- ठीक कहत हव मोहन भाई... तब जवान रहनी, तनिको ना बुझाईल। बाकी अब बहुते अखरत बाटे। अम्मर महीना दिन प दू चारि घंटा खातिर अईहन आ चलि जईहं। 

मोहन- अब उनकर बिआह करs, पोती पोता पतोहे के साथे जिनिगी कटि जाई। चलत बानी तनी खेत घूमे। 

त्रिलोचन- ठीक बा भाई... चलs। 

दृश्य 02

त्रिलोचन  एक बहुमंजिला इमारत के सामने खड़े हैं। उनके हाथों मे एक कागज है. उस पर जो पता लिखा है, वही पता उस ईमारत के साइनिंग बोर्ड पर भी लिखा है। उसी समय एक एक बड़ी सी कार बाहर निकलती है, और उनसे थोड़ी दूर जाकर रुक जाती है। कार से सूटबूट पहना हुआ एक युवक उतरकर त्रिलोचन के पास आकर उनका पैर छूता है। 

युवक- बाबूजी गोड़ लागत बानी, कब अईनीं हंई, ईंहां क पता केसे मीलल हवे? 

त्रिलोचन- खुश रह बेटा, एक घंटा भयील ईहवा अईले। 

अम्मर- चलीं गाड़ी मे बईठीं, घरे चलि के अऊर हालचाल होई। 

अम्मर अपने पिता त्रिलोचन को कार मे बैठाकर ले जाता है। 

दृश्य 03

एक सजेधजे कमरे मे त्रिलोचन और अम्मर बैठे बहुत प्रेम से बातचीत कर रहे हैं। 

त्रिलोचन- तीन साल हो गयील बिआह भयीले... पोता आ गयील... आ हमसे भेंट ना करवलs, ना बतवलs। हम मना करतीं का तुंहके बिआह करे खातिर? अब एक ठो काम करs, छुट्टी ले के घरे चलs लोगन। हम बहुभोज क के पूरा गाँव खिआवल चाहत बानी। 

अम्मर- ठीक बा बाबूजी। 

उसी समय एक आधुनिक युवती फाटक खोलकर कमरे में आती है। 

युवती- ई कवन आदमी हवे? निखिल के चाईल्डकेयर से काहें ना ले अईलs ह? 

अम्मर- रागिनी  ई हमार बाबूजी हवें, इनक गोड़ लागि लs, इनके साथे बतिआवs, तबले हम निखिल के ले आवत बानी।

युवती बिना प्रणाम किये चली जाती है। अम्मर अपने पिता को बैठने को कह निखिल को लेने चला जाता है। 

दृश्य 04

रात का समय है, त्रिलोचन बिस्तर पर लेटे हुए हैं। उनके कानों मे उनके बहू बेटे के झगड़ने की आवाज आ रही है। 

अम्मर- चुप हो जा रागिनी नाहीं त हमसे बाऊर के हू ना होई। 

रागिनी- ऊ तुहार बाप हवें, उनके होटल मे कमरा ले के दे दs। ए मकान मे ऊ रहिहें त हम एक दिन ना रहब। 

दृश्य-05

बंगलौर के एक प्रापर्टी डीलर के आफिस में त्रिलोचन जी बैठे हैं, उनकी प्रापर्टी डीलर से बातचीत हो रही है। 

प्रापर्टी डीलर- आप अपने गाँव का मकान आ बीस बीघा खेत काहें बेचल चाहत बानी? ओईसे आपके बीस बीघा का एके चक है, ई बहुते अच्छा है। ठीक दामकाम पर बेचवा देईब। 

त्रिलोचन- ई बंगलौर मे बहुते पढा लिखा लोग रहेला, ऊ लोगन के घर में अपना माई-बाप खातिर जगह ना होला। ओईसने मई बाप खातिर हमके सस्ता वृद्धाश्रम खोले के बा। 

प्रापर्टी डीलर- हम आपके ई दूनो काम करा देत बानी। 

दृश्य 05

"अम्मर वृद्धाश्रम" का बोर्ड लगे एक आश्रम के आफिस में हम त्रिलोचन को देखते हैं। त्रिलोचन की उम्र सत्तर साल से अधिक की हो गयी है। 

त्रिलोचन (फोन पर) -हमार ई आश्रम चलत के बीस साल हो गयील। हमरे ईहां सब लोगन के घरे खानि राखल जाला। संयोग से एक ठो बेड खाली बा... जो भर्ती करे के होखे त आज लेके चलि आईं। 

फोन रखकर त्रिलोचन सामने रखी घंटी बजाता है, जिसे सुनकर एक महिला कर्मचारी आती है। 

महिला कर्मचारी- का कहत बानी साहब जी? 

त्रिलोचन- कमरा नंबर दू में जवन चार नंबर बेड खाली बा, ओकर चादर तकिया बदलि डालs। आजु एक जने अवर महतारी ईहां आवत हई। उनकर श्रवण कुमार उनके ईहां ले के आवत बाने। 

दृश्य 06

वृद्धाश्रम के सामने एक मंहगी कार रुकती है। कार की अगली सीट से एक युवा दम्पति उतरते हैं। कार की पीछली सीट पर भी कोई औरत बैठी दिख रही है। 

पति- मोना एक बेर अऊर बिचार करि ल। ऊ हमार माई हई...

पत्नी (गुस्से में) -त उनहीं के साथे रह, हमके छोड़s।

.... ........ 

(क्रमशः )... (to be continued!)

  1. वृद्धाश्रम में आने वाली और कार की पिछली सीट पर बैठी औरत कौन थी? कहीं वह दोनों एक ही तो नहीं थे?
  2. यह मोना कौन है, और कहानी में इसका रोल क्या है?
  3. इस कहानी के शीर्षक को वृद्धाश्रम नाहीं, 'ससुराल' क्यों रखा गया? 

लेखक
अपडेट: 18 जुलाई 2023, 22:52

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Script Title & Keywords: Virddhashram ya Sasural (Bhojpuri Short Story), Old  Age homes, Elder persons

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